नीम के पेड़ का उत्पत्ति-स्थल भारत है। कृषि में नीम का उपयोग कई तरीकों से किया जाता है:
a.नीम का तेल नीम के पेड़ के बीजों से निकाला जाता है और इसमें कीटनाशक तथा औषधीय गुण होते हैं, और यही कारण है कि इसे कई प्रकार की फसलों में कीट नियंत्रण के उद्देश्य से इस्तेमाल किया जा चुका है। नीम का तेल कीटों की जैविक प्रणाली में प्रविष्ट हो जाता है और उसे सामान्य ढंग से काम नहीं करने देता। कीड़ों के आहार ग्रहण करने, यौन क्रिया एवं अंडे a.देने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है और इसकी वजह से उनका जीवन चक्र टूट जाता है।
b.नीम के बीजों से बने केक (तेल निष्कर्षण के बाद नीम के बीजों का अवशिष्ट) का इस्तेमाल जब मिट्टी को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है या फिर जब इसे मिट्टी में मिलाया जाता है तो इससे न केवल मिट्टी में मौजूद जैविक पदार्थ और समृद्ध होते हैं बल्कि नाइट्रिफिकेशन भी रुकता है और इस प्रकार नाइट्रोजन की हानि में कमी आती है।
c.नीम की पत्तियों का उपयोग हरी पत्ती की खाद के रूप में और कम्पोस्ट तैयार करने में भी किया जाता है। वैसे, नीम की पत्तियों का उपयोग अनाज के भंडारण में भी किया जाता है। नीम की टहनियाँ जब कोमल होती हैं तो विघटन (डिकम्पोजिंग) के बाद उनका इस्तेमाल हरी खाद के रूप में किया जाता है और इस हरी खाद का खेतों में बड़े पैमाने पर इस्तेमाल होता है।
d.नीम (पत्ती और बीज) के रस में कीटनाशक गुण पाये गये हैं। इसका उपयोग पर्ण स्प्रे (फोलियर स्प्रे) के रूप में और धान की खेती में बीज के उपचार हेतु किया जाता है।
e.नीम की छाल और जड़ों में औषधीय गुण भी होते हैं। इसकी छालों एवं जड़ों के चूर्ण (पाउडर) का इस्तेमाल धान की खेती में मक्खियों एवं चूसनेवाले कीटों को नियंत्रित करने के लिए भी किया जाता है।
f.वर्तमान में, नीम से उपचारित यूरिया का उपयोग उपज में नुकसान को रोकने और उर्वरकों का इस्तेमाल इष्टतम परिमाण में करने के लिए भी किया जाता है। नीम के कुछ हिस्सों के बारे में हाल ही में किये गये अध्ययनों के अनुसार, यह पाया गया है कि नीम के बीज के रस (अर्क) में एजेडिरैक्टिन होता है, जो अपरिपक्व कीटों के विकास को रोकता है।
नीम के बीज की गुठली (कर्नेल) का रस तैयार करना आसान है और किसान नीचे दी गयी पद्धति से स्वयं ही नीम के बीजों की गुठलियों (कर्नेल) का रस (एक्सट्रैक्ट) तैयार कर सकते हैं।
छिड़कने योग्य घोल (स्प्रे सॉल्यूशन) तैयार करना
छिड़कने योग्य घोल (स्प्रे सॉल्यूशन) तैयार करना
◙ प्रत्येक टैंक (10 लीटर क्षमता) के लिए नीम कर्नेल एक्स्ट्रैक्ट (500 से 2000 मिलीलीटर) की जरूरत होती एक एकड़ के लिए 3-5 किलोग्राम नीम की गुठलियों (कर्नेल) की आवश्यकता होती है। बीज के बाहरी आवरण को हटा दें और केवल गुठलियों (कर्नेल) का उपयोग करें। यदि बीज ताजे हैं, तो 3 किलोग्राम गुठलियाँ ही पर्याप्त होती हैं। यदि बीज पुराने हैं, तो 5 किलो की जरूरत पड़ती है।
◙ गुठलियों (कर्नेल) को धीरे-धीरे कूचें और एक सूती मलमल के कपड़े से इसे हल्के ढंग से बाँध लें। इसे 10 लीटर पानी वाले बर्तन में रात भर भिगोकर रखें। इसके बाद, इसे छान लिया जाता है।
◙ छानने पर, इससे 6-7 लीटर रस (एक्स्ट्रैक्ट) मिल जाता इस रस (एक्सट्रैक्ट) के 500-1000 मिलीलीटर परिमाण में 9 ½ या 9 लीटर पानी मिलाकर इसे और पतला कर लें। छिड़काव करने से पहले इसमें 10 मि.ली./लीटर की दर से साबुन का घोल मिला देना चाहिए ताकि इससे रस (एक्स्ट्रैक्ट) पत्तियों की सतह पर अच्छी तरह से चिपक सके।परजीवी कीटों (पेस्ट्स) के हमले की तीव्रता के अनुसार रस (एक्सट्रैक्ट) की सांद्रता को बढ़ाया या घटाया जा सकता है।
◙ कपड़े की थैली के माध्यम से पानी दें और रस (एक्स्ट्रैक्ट) को बाल्टी में गिरने दें।
ध्यान रखने योग्य बातें
ध्यान रखने योग्य बातें
◙ नीम के फलों को फल लगने के मौसम में संग्रहित करें और उन्हें छाया में सुखाएँ।
◙ नौ महीने से अधिक हो जाने पर बीजों का उपयोग न करें।इससे ज्यादा अवधि तक रखे गये बीज अपनी सक्रियता खो देते हैं और इसलिए NSKE की तैयारी के लिए उपयुक्त नहीं होते हैं।
◙ हमेशा ताजा तैयार नीम के बीजों की गुठली के रस (नीम सीड कर्नेल एक्स्ट्रैक्ट या NSKE) का उपयोग करें।
◙ कारगर परिणाम के लिए शाम 4 बजे के बाद ही रस या एक्स्ट्रैक्ट का छिड़काव करें।
◙ कीटों के संक्रमण से बचने के लिए इस घोल का इस्तेमाल निश्चित अंतराल पर एक से ज्यादा बार किया जा सकता है।
कृपया यह जान लें कि नुकसान के शुरुआती चरणों में ही नीम का रस कारगर होता है। यदि कीट की मौजूदगी बहुत ज्यादा अधिक है, तो बेहतर नियंत्रण के लिए अन्य रासायनिक विधियों का उपयोग करना बेहतर होता है। कीट प्रबंधन की लागत को ◙ कम करने के लिए कभी नीम से बने कीटनाशकों और कभी अन्य रसायनों का इस्तेमाल बारी-बारी से किया जा सकता है।
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