

अनार भारत की व्यावसायिक रूप से महत्वपूर्ण फलों की फसलों में से एक है, वर्तमान में भारत में १.२५ लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में अनार की खेती की जाती है,जिसमें से ०.८७ लाख हेक्टेयर क्षेत्र अकेले महाराष्ट्र राज्य में है, यह क्षेत्र भारत में अनार की कुल खेती का ७०% से अधिक है, इसलिए महाराष्ट्र राज्य को भारत की अनार की टोकरी माना जाता है। इसके बाद कर्नाटक और आंध्र प्रदेश का स्थान आता है।
मिट्टी और जलवायु:
मिट्टी और जलवायु:

अनार रेतीले दोमट या काली मिट्टी में जिसमे अच्छी जल निकासी की सुविधा हो अच्छी वृद्धि करता हैं, फलों के विकास और पकने के दौरान अनार की फसल को गर्म और शुष्क जलवायु की आवश्यकता होती है।
कलम लगाना:
कलम लगाना:

अनार की खेती कलमों द्वारा की जाती है, जड़ो के अच्छे विकास के लिए जड़ो का उपचार ब्यूटिरिक एसिड जैसे रसायनों द्वारा किया जाता हैं, कलम तैयार करने का सबसे अच्छा समय दिसंबर माह में होता है, कलम नर्सरी से सीधे खेतों में मुख्य क्षेत्र में लगाई जाती है।
रोपण:
रोपण:


पोधो के बिच अंतर मिट्टी के प्रकार और अन्य प्रथाओं के आधार पर अलग अलग हो सकता है। सामान्यतः यह ५x५ वर्ग मीटर के अंतर में रोपण कर कई स्थानों पर अभ्यास किया जाता है। अनार के पौधो के रोपण के लिए, ५० वर्ग सेंटीमीटर के गड्ढे बनाए पौधे लगाने के साथ गड्डो को भरने के लिए गोबर खाद और १ किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट का मिश्रण इस्तेमाल करे।
किस्में:
किस्में:


स्थानीय रूप से उपयुक्त किस्मों के पौधे विश्वसनीय स्रोत से खरीदे और लगाएं
कुछ किस्मो के लिए बड़े क्षेत्र की आवश्कता होती है कुछ प्रचलित किस्मे जैसे Co1, IIHR चयन, आलंदी, वडकी, ढोलका, कंधारी गणेश (GB I), मस्कट, नाभा, मृदुला, आरकट , ज्योति और रूबी हैं।
सिंचाई:
सिंचाई:
व्यावसायिक पैदावार के लिए पौधो की नियमित रूप से सिंचाई करनी होती है। फूल आने से फलो की कटाई तक नियमित सिंचाई आवश्यक है, अन्यथा फूल गिर सकते है और फलों में दरार आ जाती है, सर्दियों में १० दिनों के अंतराल पर और गर्मियों में हर ७ दिनों के अंतराल पर सिंचाई करनी होती है।

कटाई-छटाई :
कटाई-छटाई :
अनार की फसल के लिए नियमित कटाई छटाई आवश्यक होती है, पौधे की मृत शाखाओं को तिरछा काटे और हर छंटाई के बाद कटे हुए सिरों पर बोर्डो पेस्ट लगाएं।

पुष्पन को प्रेरित करना:
पुष्पन को प्रेरित करना:

एक समान पुष्पन बहार उपचार द्वारा होता है | इस अवधि के दौरान सिंचाई ४५ दिनों तक होती है, पुष्पन के पहले कली में निचे की और हल्की मात्रा में बाल उगने लगते है, उर्वरकों की अनुशंसित मात्रा कटाई छटाई के तुरंत बाद उपयोग करना चाहिए और सिंचाई प्रदान करना चाहिए, इस अभ्यास से फूल और फल मजबूत बनते हैं। यह मुख्य रूप से अलग-अलग समय पर किया जा सकता है और किसान इसे विभिन्न नाम से जानते है जैसे
मृग बहार: जून-जुलाई
हस्त बहार: सितंबर अक्टूबर
अम्बे बहार: फरवरी- मार्च

परागण:
परागण:
बेहतर पैदावार के लिए परागण अवधि के दौरान मधु मक्खियों को सुरक्षित रखा जाना चाहिए, उच्च पैदावार के लिए हस्त परागण का भी उपयोग किया जा सकता है।

उर्वरक का समय अनुसार उपयोग :
उर्वरक का समय अनुसार उपयोग :
स्थानीय कृषि विश्वविद्यालय द्वारा निर्देशित मात्रा में संतुलित उर्वरक की अनुसूची बनाए और उपयोग करें, अनार के बागों में बोरान की कमी आम है, इस कमी के कारण फल छोटे, सख्त और कभी-कभी टूट के गिर भी जाते हैं। पत्तियां मोटी हो जाती हैं और जिस पर पीले धब्बे भी पड़ जाते हैं।
मिट्टी में बोरान की कमी को प्रति पेड़ २० ग्राम बोरेक्स के इस्तेमाल से पूरा किया जा सकता है या शीघ्र परिणामों के लिए यारा वीटा बोरट्रैक १५० का छिड़काव किया जा सकता है |
रोग प्रबंधन:
रोग प्रबंधन:

अनार पर अनियमित गहरे भूरे रंग के धब्बे फलों पर दिखाई दे सकते हैं जिसके कारण बाजार मूल्य प्रभावित हो सकता है।एन्थ्रेक्नोज (फफूंदी रोग ) बीमारी को नियंत्रित करने के लिए कृपया एंट्राकोल (प्रोपाइनब ७०% डब्ल्यूपी) का छिड़काव करें। यदि आप की फसल में फलों की सड़ांध हो रही है, तो संक्रमित फलों को नष्ट करें और इस बीमारी को फैलने से रोकें।
कीट प्रबंधन:
कीट प्रबंधन:
अनार में लगने वाले कुछ महत्वपूर्ण कीट तितली (अनार तितली), छाल खाने वाली इल्ली, ऱस चूसने वाले कीड़े (माहू, मकड़ी, किट ) हैं। इसकी रोकथाम के लिए १५ दिनों के अंतराल पर नीम के बीज की गिरी (NSKE-5%) या नीम तेल (3%) अनार तितली के प्रभाव को नियंत्रण के लिए उपयोग करना चाहिए, नीम आधारित कीटनाशक के उपयोग से कीटो के अंडो के प्रभाव को रोका जा सकता है, कीटो के प्रभाव से बचने के लिए फल को कपड़े या कागज से ढक देना चाहिए, यदि समस्या गंभीर हो तो नीले या हरे रंग के त्रिकोण वाले कीटनाशक का अनुशंसित मात्रा में छिड़काव करना चाहिए ।


प्रतीक्षा अवधि:
प्रतीक्षा अवधि:
कीटनाशकों और फफूंदनाशकों के छिड़काव के बाद कम से कम १० दिनों तक प्रतीक्षा करना चाहिए, कीटनाशकों का छिड़काव करते समय हमेशा सुरक्षा उपकरणों का उपयोग करें।
कटाई:
कटाई:
जब फल का रंग हरे से लाल/पीला या भूरा हो जाए तब फलो की तुड़ाई करनी चाहिए, आकर के अनुसार फलो को पृथक करें, जब थोड़े नर्म हो और बॉस को टोकरी या लकड़ी के बक्सों में घास या पेपर रख कर, फलो को रखे और शीघ्र बाजार तक पहुंचाने की व्यवस्था करें।

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