
रोग :
रोग :
मिटटी में फफूंदी पेरेनोक्लेरोस्पोरा सोर्घी जीव द्वारा होने वाला एक फफूंद रोग है। प्राथमिक संक्रमण का स्रोत मिटटी द्वारा उत्पन्न स्थिर फफूंद बीजाणु है जो अनुकूलित जलवायु परिस्थितियों में पूरी तरह से गीली मिटटी में अंकुरित होते हैं और तैरने वाले जूस्पोर्स (जलबीजाणु) नन्हें पौधों को प्रभावित करते हैं। दूसरा संक्रमण बारिश तथा हवा के माध्यम से संक्रमित पौधों से बीजाणुओं के फैलाव द्वारा होता है। रोग पैदा करने वाले कीटों का वैकल्पिक आहार गन्ना, ज्वार और घास होती है।
लक्षण :
लक्षण :
◙ लक्षण 10 दिनों की फसल पर दिखाई देते हैं।
◙ पहला लक्षण छोटी पत्तियों में हरितहीन धारियों के रूप में दिखाई देता है। सभी पत्ते हरितहीन धारियों में और मुरझाये हुए दिखाई देते हैं।
◙ रोग का निश्चित संकेत खेत में बेतरतीब प्रकार से सफ़ेद संक्रमित पौधों का दिखना और पत्तों में नीचे की ओर मिटटी की फफूंद का लगना है।

◙ जैसे-जैसे पौधा बढ़ता है पत्तियां मुरझाई, भूरी, असामान्य रूप से कड़क हो जाती हैं और सूखी दिखाई देती हैं।
◙ बाद के चरणों में परिपक्व लटकन विकृत हो जाती है जो मुख्य लक्षण की और बढती है।
◙दाना बनना बाधित होता है और बीज का बांझपन उत्पन्न हो जाता है। कई बार किसान मिटटी में फफूंदी रोग संक्रमण को आयरन की कमीं के साथ भ्रमित हो जाते हैं।
नियंत्रण के उपाय:
नियंत्रण के उपाय:
◙ आयरन की कमीं की सफ़ेद धारियों के सफ़ेद पौधे खेतों में व्यापक रूप से फैले दिखाई देते हैं, जबकि DM संक्रमित सफ़ेद पौधे खेत में बेतरतीब प्रकार से दिखाई देते हैं।
◙ आयरन की कमीं के पौधों में सफ़ेद फफूंद की ग्रोथ पत्तों में नीचे की ओर नहीं दिखाई देती (फफूंद की ग्रोथ के लिए सुबह जल्दी निरिक्षण करें)
◙ संक्रमण के शुरुआती चरण में संक्रमित पौधों को जड़ से उखाड़ना और रोग के और अधिक फैलाव को कम करने के लिए पौधों को जलाना होगा।
◙ बुवाई के बाद 10-15 दिनों में 2.5 लीटर पानी में 3 ग्राम मेटालाक्सिल + मैंकोजेब का छिडकाव (25 दिनों में सामान खुराक के दूसरे छिडकाव की आवश्यकता है)
◙ एक लीटर पानी में 0.3 ग्राम एज़ोक्सीस्ट्रोबिन 18.2% + डीफेनोकोनाज़ोल 11.4% का छिडकाव।
◙सुझावित बुवाई दूरी, संख्या और उर्वरक शिड्यूल को अपनाना