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विशेषज्ञ लेख
ड्रैगन फ्रूट की खेती से कर सकते है अच्छी कमाई

भारत वर्ष एक कृषि प्रधान देश है, जहां परंपरागत फसलों की खेती अधिक की जाती है, जिसमे कुछ किसान फसलों से होने वाले लाभ को ले कर चिंतित रहते है, इसलिए अब खेती में नए-नए प्रयोग किये जा रहे है, जिससे कृषि क्षेत्र को एक अलग पहचान भी मिल रही है. जिसमे ड्रैगन फ्रूट की खेती विशेष रूप से उभर कर सामने आ रही है, जिसके लिए कई राज्य सरकारे अनुदान भी मोहिया करा रही है, क्युकी ड्रैगन फ्रूट की खेती में एक बार पौधे लगाने क़े बाद 25 वर्षों तक फल प्राप्त होते है, जो किसानो की आमदनी बढ़ाने का सरल और सटीक जरिया साबित हो रहा है।

ड्रैगन फ्रूट का वैज्ञानिक नाम हाइलोसेरेसुंडाटस है, जो कि प्रमुख रूप से मलेशिया, थाईलैंड, फिलीपींस, संयुक्त राज्य अमेरिका और वियतनाम में लोकप्रिय है। और भारतवर्ष में अब इसकी खेती महाराष्ट्र, तेलंगाना, उत्तेर प्रदेश, गुजरात, बिहार, कर्णाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, अंडमान और निकोबार द्वीप में की जा रही है।

ड्रैगन फ्रूट की किस्में

ड्रैगन फ्रूट की किस्में

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ड्रैगन फ्रूट की 3 मुख्य किस्में हैं-

➥सफेद पिताया (White Dragon Fruit)

➥लाल पिताया (Red Dragon Fruit)

➥पीला पिताया (Yellow Dragon Fruit)

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ड्रैगन फ्रूट की खेती क़े लिए सटीक मौसम और मिट्टी

ड्रैगन फ्रूट की खेती क़े लिए सटीक मौसम और मिट्टी

इस फल की खेती सिमित सिचाई सुविधा होने पर भी आसानी से हो सकती है. इसे सभी प्रकार की मिट्टी में उगाया जा सकता है. जिसमे अच्छी जल निकास वाली सुविधा हो, ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय मौसम सब से उपयुक्त माना जाता है.फलों की गुणवत्ता एवं रंग भारी मृदाओं की अपेक्षा हल्की मृदाओं में अच्छा होता है, मिट्टी का पीएच मान 5.5 से 6.5 तक उपयुक्त माना जाता है, ड्रैगन फ्रूट की फसल के लिए तेज धूप की जरूरत नहीं होती है,बेहतर खेती के लिए अधिकतम तापमान 50* सेन्टीग्रेड और न्यूनतम 10*C तक रहना चाहिए, जिसे अच्छा उत्पादन प्राप्त हो।

ड्रेगन फ्रूट को लगाने क़े लिए जून से जुलाई या फरवरी से मार्च का समय उपयुक्त होता है, यदि आप क़े क्षेत्र में रहते है जहां औसत से अधिक बारिश होती है, या ज्यादा सर्दी रहती है, तो ऐसी स्तिथि में सितंबर या फरवरी से मार्च माह क़े दरमयान पौधे लगाने चाहिए। और जब तक पौधे अच्छी तरह स्थापित ना हो जाएँ, तब तक रोजाना शाम क़े समय हल्की सिंचाई करनी चाहिए।

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ड्रेगेन फ्रूट की बुआई की विधि

ड्रेगेन फ्रूट की बुआई की विधि

ड्रेगेन फ्रूट क़े लिए खेत तैयार करने क़े लिए खेत को अच्छी तरह जोंत कर समतल बनाना चाहिए, ताकि मिट्टी में मौजुद सारे खरपतवार खत्म हो जाएं। जुताई क़े समय एक एकड़ में ३० -४० टन अच्छी सड़ी हुई गोबर खाद् मिटटी में मिला देना चाहिये, मिट्टी परीक्षण क़े बाद ही रासयनिक खाद का उपयोग करना चाहिए, क्युकी इस फसल क़े लिए रासयनिक खाद की आवश्यता कम होती है, ड्रैगन फ्रूट के प्रत्येक पौधे को अच्छी तरह से विकसित होने के लिए १० से १२ किलोग्राम जैविक खाद की आवश्यकता होती है.सिर्फ आवश्यक होने पर ही फल देने वाले चरण में पोटाश और नाइट्रोजन का प्रयोग करना चाहिए।

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ड्रैगन फ्रूट को बीज और कलम दोनों विधि से लगाया जा सकता है, लेकिन कलम विधि व्यावासिक रूप से अधिक सफल होती है, क्युकी बीज से पौधे का विकास धीरे होता है, जबकि कलम से पौधे लगाने पर एक वर्ष में उपज ली जा सकती है, कलम लगाने से पहले खेत में पौधे को सहारा देने की व्यवस्था करना चाहिए इसलिए लोहे क़े पाइप या सीमेंट क़े पाइप जो लगभग ६ से ८ फिट उचाई वाले होने चाहिए।

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पौधो क़े बिच ८ *८ फिट की दुरी रखनी चाहिए, और दो पंक्ति क़े बिच ५ *५ फिट की दुरी रखना चाहिए, इस प्रकार एक एकड़ में १५०० -१६०० पौधे लगाए जा सकते है। ड्रेगेन फ्रूट की कलम विश्वसनी नर्सरी से ही लेना चाहिए, एक पौधे की सामान्य कीमत ६० से १०० रूपये तक होती है। कलम लगाने क़े ३ सप्ताह पूर्व ३ से ४ फिट गहरे गड्ढे बना कर खुले छोड़ देना चाहिए, जिसे धुप से हानिकारक किट नष्ट हो जाये, पौधे लगाने से पहले गड्ढे में ५०:२०:३० जैविक खाद, रेत और मिट्टी का उपयोग करना चाहिए।

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ड्रेगेन फ्रूट में सिंचाई

ड्रेगेन फ्रूट में सिंचाई

ड्रेगेन फ्रूट की फसल जल संचय क़े प्रति बहुत सवेंदनशील होती है, इसलिए इसे अधिक सिंचाई की आवश्यता नहीं होती, इसलिए ड्रिप सिंचाई इस फसल क़े लिए सब से उपयुक्त होती है, क्युकी यह फसल कम से कम 25 वर्षो तक फल देती है, इसलिए ड्रिप सिंचाई पर लगाने वाली लागत किसानो क़े लिए फायदेमंद होती है।

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ड्रेगेन फ्रूट के फूल एवं फल

ड्रेगेन फ्रूट के फूल एवं फल

सामन्यान्तः कलम लगाने क़े १ से १.५ वर्ष में पौधे से फलो का उत्पादन शुरू हो जाता है, फल की तरह इनके फूल भी काफी सुन्दर और आकर्षक सफ़ेद रंग क़े होते है, ड्रैगन फ्रूट हर साल पांच महीने तक फल देता है, जो आमतौर पर गर्मियों की शुरुआत से लेकर मध्य शरद ऋतु तक होता है, फूल आने क़े एक माह में फल बन कर तैयार हो जाते है, कच्चे फल हरे और चमकीले रंग क़े होते है, परिपक्व फल का वजन ३०० से ६०० ग्राम तक होता है, फल की तुड़ाई फल का रंग बदलने क़े २ से ४ दिन में की जानी चाहिए, फलो का रंग किस्म क़े अनुसार भिन्न हो सकता है, एक पेड़ से कम से कम ५-६ बार फल तोड़ा जा सकता है, अगर बाजार दूरी पर है तब थोड़ा सख्त ही तोडना चाहिए। लेकिन अगर फलों का निर्यात किया जाना हो तो रंग बदलने के एक दिन के भीतर ही इसे तोड़ लिया जाना चाहिए।

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ड्रेगेन फ्रूट की खेती से लाभ

ड्रेगेन फ्रूट की खेती से लाभ

किस्म और अनुकूल वातावरण परिस्तिथि में ३ से ६ बार फलो की तुड़ाई की जा सकती है, एक पौधे से ५० से १०० फल प्राप्त होते है, जिसका वजन ३०० से ६०० ग्राम होता है और इसका बाजार मूल्य २५ से ३५ रूपए प्रति किलो तक होता है, इस प्रकार एक पौधे से लगभग १२ ,५०० रूपये तक कमाए जा सकते है, इस प्रकार एक एकड़ से लगभग ६ से ८ लाख रूपए एक मौसम में लाभ कमाया जा सकता है, बजार में एक फल का मूल्य ८० से १०० रूपए तक होता है, इसलिए किसान अपनी सुविधा अनुसार अपना उत्पाद थोक या फुटकर विक्रेता को बेच कर लाभ कमा सकते है।

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विशेष:- क्युकी इस फसल में रोग या कीटो की अभी तक कोई विशेष समस्या नहीं मिली है, इसलिए खेती में लगने वाली लागत कम हो जाती है, क्युकी किट नाशक क़े उपयोग की जरुरत नहीं होती, साथ ही इन फसलों में रासायनिक खाद की भी आवश्यता बहुत कम होती है।

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