

टमाटर हर घर में उपयोग की जाने वाली एक आम सब्जी है, जिसका उपयोग भोजन में कई रूपों में किया जाता है,टमाटर मुख्यतह तीन रूपों में जाना जाता है, देसी टमाटर, संकर टमाटर और चेरी टमाटर, इनमे से चेरी टमाटर का मूल्य सब से अधिक होता है, देश में इसकी मांग काफी अधिक है. इसलिए देश के किसान चेरी टमाटर की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते है. चेरी टमाटर बहुत ही आकर्षक होने के साथ -साथ स्वाद और सेहत में भी लाभकारी होता है. चेरी टमाटर बड़े टमाटर की तुलना में सामान्य रूप से अधिक मीठा होता है। मध्य प्रदेश, महारष्ट्र, आंध्रा प्रदेश, उत्तेर प्रदेश में चेरी टमाटर की खेती के लिए सब से अधिक जाने जाते है। जहां किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। हालांकि चेरी टमाटर सामान्य टमाटर की तुलना में अधिक महंगे होते हैं, जिनकी कीमत 80 से 100 रुपये प्रति किलो के बीच होती है, इन टमाटरों की भारतीय बाजार के साथ-साथ विदेशी बाजारों में भी अच्छी मांग है। भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक देश है, जो दुनिया का 26% आयात करता है।
चेरी टमाटर की कुछ महत्वपूर्ण किस्में
चेरी टमाटर की कुछ महत्वपूर्ण किस्में

- भारत में चेरी टमाटर सुपर स्वीट, १०० चेरी टमाटर, इतालवी स्नो, पीला नाशपाती, ब्लैक पर्ल, सन गोल्ड, चेरी जुबली, ब्लड चेरी टमाटर, पंजाब ट्रॉपिक, पंजाब स्वर्ण के लिए कई प्रसिद्ध किस्मों का उपयोग किया जाता है।
2.चेरी टमाटर का पौधा १२० से १४० दिनों में तैयार हो जाता है, जिसमें एक पौधा ३ से ४ किग्रा का उत्पादन देता है। एक एकड़ में चेरी टमाटर के पौधे ५ ,५०० से ५ ,७०० पौधों तक लगाए जा सकते हैं।


खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
खेती के लिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी
➥ चेरी टमाटर की खेती खुले खेत में जुलाई माह में शुरू की जा सकती है, और यदि पॉली हाउस ( पौधा घर) में खेती करना चाहते है, हो अगस्त माह में रोपाई कर सकते है। दोनों स्तिथि में खाद का उपयोग टपक सिंचाई द्वारा किया जाना लाभकारी होता है।
➥ चेरी टमाटर की खेती के लिए अच्छी जल धारण करने वाली रेतीली दोमट मिट्टी, चिकनी काली और लाल मिट्टी भी अच्छी होती है, जिसमे उचित मात्रा में कार्बनिक पदार्थ हो और जिसका पी० एच० ६ से ७.५ के बिच हो अच्छी होती है,गर्म आद्र जलवायु में इसके पौधे अच्छे से विकसित होते है।
➥ नर्सरी को प्रोट्रे विधि से तैयार करना चाहिए।
➥ नर्सरी के पौधे ३० दिनों में रोपण के लिए तैयार हो जाते हैं। एक एकड़ खेत में नर्सरी तैयार करने के लिए लगभग २०० से ३०० ग्राम बीज की आवश्यकता होती है।
➥ रोपण के लिए पंक्तियों के बीच २ से २.५ मीटर और पौधों के बीच ६० से ८० सेमी की दूरी रखें, भविष्य में पौधों को सहारा की आवश्यकता होती है, इसलिए उसी के अनुसार दूरी बनाए रखें।


➥ चेरी टमाटर की फसल को नियमित सिंचाई की आवश्यकता होती है, विशेष रूप से फूल और फल विकास के समय, इसलिए हमारा सुझाव है कि टपक सिंचाई का उपयोग किया जाना चाहिए, इससे पानी की भी बचत होती है और यदि आप कोई उर्वरक का उपयोग करना चाहते है, तो आप इसे टपक सिचाई के साथ भी लगा सकते हैं।
➥ यदि किसी चरण में खेत में खरपतवार दिखाई दे तो उसे हाथो द्वारा या समस्या अधिक होने पर सेंकोर ७० डब्लूपी का छिड़काव करके खरपतवार प्रबंधन किया जा सकता है।
➥ फसल में रस चूसने वाले कीटों को कॉन्फिडोर और एडमायर जैसे कीटनाशकों का छिड़काव करके नियंत्रित किया जा सकता है।
➥ अगेती झुलसा रोग के कारण पौधों की पत्तिया पीली होकर गिरने लगती है। इसके नियंत्रित के लिए नेटिवो का इस्तेमाल करना चाहिए।


कटाई:-
कटाई:-
फलो की तुड़ाई का समय इस बात पर निर्भर करता है कि फलों को कितनी दूरी वाले स्थानों पर लेकर जाना है, या ताजे फलों को मंडी में ही बेचना है। हरे टमाटर जब हल्के गुलाबी होने लगे तो तुड़ाई कर लेना चाहिए, अन्य उत्पाद बनाने और बीज तैयार करने के लिए पूरी तरह पके और नर्म टमाटरों का प्रयोग किया जाता है। इसकी फसल गुच्छों में होती है. इसलिए इसकी पेकिंग सावधानी से डब्बो में करना चाहिए।


लाभ:-
चेरी टमाटर के एक पौधे से ४ से ६ किग्रा उपज प्राप्त होती है, जहाँ सामान्य टमाटर की अधिकतम कीमत ८० रुपए प्रति किग्रा होती है, वही चेरी टमाटर की कीमत ४०० रुपए प्रति किग्रा तक होती है।


निर्यात करने के लिए कुछ बातो का ध्यान रखना जरुरी होता है
निर्यात करने के लिए कुछ बातो का ध्यान रखना जरुरी होता है
➥ टमाटर पूर्णतः स्वस्थ होना चाहिए, किसी प्रकार का रोग फलो पर दाग धब्बे नहीं होना चाहिए, अन्यथा भेजा हुआ सामान अस्वीकार हो सकता है।
➥ टमाटर पूर्णतः पके नहीं होना चाहिए, जब टमाटर हल्के लाल और हरे रंग के बिच हो तब फलो की तुड़ाई कर लेना चाहिए। ऐसे फल ४ से ५ सप्ताह तक ख़राब नहीं होते।
➥ निर्यात करने के लिए IPI ( इंडियन पैकेजिंग इंडस्ट्री ) के मापदंडो के अनुसार ही करना चाहिए, जिसमे बॉक्स का आकर और वजन निर्धारित होता है, बॉक्स का आकर ४५०२६०११० होता है और और एक बॉक्स का वजन ५ या ७ किग्रा रखना निर्धारित किया गया है।
➥ फलो का आकार ३० से ५० मिमी के बिच होना चाहिए।
➥ यदि आप स्वयं निर्यात करना चाहते है,तो कुछ प्रमुख दस्तावेज की जरुरत होगी जिसमे लोडिंग बिल,कमर्शियल इनवॉइस ऑफ़ पैकिंग, बिल ऑफ़ एक्सपोर्ट की जरुरत होगी जिसे आप अपने CA द्वारा बनवा सकते है।और किसान अपने नजदीकी निर्यातकों से सम्पर्क कर भी सामान भेज सकते है।


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