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विशेषज्ञ लेख
हरित गृह/ पौधा गृह में बीज रहित खीरे कैसे उगाएं

आमतौर पर, खीरे की खेती गर्मियों और बारिश के मौसम में खुले खेतों में की जाती हैं। लेकिन सर्दियों के मौसम में खीरे की खेती थोड़ी मुश्किल होती है, लेकिन ग्रीनहाउस में खीरे की खेती हर मौसम में आसनी से की जा सकती है, जिसे किसानों को बहुत अच्छे बाजार मूल्य मिल सकते हैं, फार्मराइज ऐप आप के निकटतम बाजारों में खीरे की फसलों के लिए बाजार मूल्य प्रदान करता है।

बीज रहित खीरा

बीज रहित खीरा

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इन दिनों बीजरहित खीरे ज्यादातर ग्राहकों द्वारा पसंद किये जा रहे है।

बीज रहित खीरे की विशेषता

➥फलों की लंबाई: १४- १६ सेमी

➥कटाने में आसान और स्वाद में अच्छी

➥सर्दी के मौसम के अलावा सभी परिस्तिथियो के उत्तम

➥१००% तक उत्पादन क्यों की परागण आवश्यक नहीं

➥हरित गृह/ पौधा गृह जैसी संरक्षित संरचना के तहत आसान खेती

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खेती के उपाए

खेती के उपाए

हम अपनी टीम द्वारा किए गए अनुसंधान के आधार पर हरित गृह/ पौधा गृह जैसी परिस्थितियों में बीज रहित खीरे की खेती के लिए सर्वोत्तम तरीको की जानकारी दे रहे हैं।

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पौधो के बिच अंतर

पौधो के बिच अंतर

दो पंक्तियो के बिच ५० सेमी., पौधो के बिच ४० सेमी. का अंतर रखे, फसल के प्रबंधन के लिए पंक्तियों के बिच ६० से ८० सेमी. का अंतर रखें।

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सीधी बुआई

सीधी बुआई

बीजो को २- ३ से.मी. की गहराई में पहाड़ी जैसी रचना बना कर बुवाई करना चाहिए बुवाई के शुरुआती चरण में अत्यधिक सिंचाई से बचना चाहिए, चूहों के नुकसान से बचने के लिए बीज की प्रारंभिक अवस्था में उच्च देखभाल की जानी चाहिए।

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नर्सरी में बुवाई

नर्सरी में बुवाई

बीजो को कीट रहित हरित गृह में उगाए जाने चाहिए,और रोपाई के लिए १२ से १५ दिन पुराने अंकुर का उपयोग किया जाना चाहिए।

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रोपण

रोपण

खीरे के पोधो की रोपाई के लिए शाम के समय उपयुक्त है, रोपण करते समय ध्यान रखे की अंकुरों की जड़ो को क्षति ना पहुंचे।

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प्लास्टिक की पन्नी का उपयोग

प्लास्टिक की पन्नी का उपयोग

उठी हुई क्यारियों को काली प्लास्टिक की थैली से ढक दे, जो मौसम की शुरुआत में मिट्टी का तापमान बढ़ाने में मदद करता है, जिससे अंकुरण तेजी से होता है, और फल का विकास भी जल्दी होता है। गर्मी के अधिक गर्म महीनों में मिट्टी को बहुत ज्यादा गर्म होने से रोकने के लिए काले-पर-सफेद प्लास्टिक की थैली का इस्तेमाल करना चाहिए। प्लास्टिकल्चर के अन्य फायदों में खरपतवार नियंत्रण, सिंचाई क्षमता में वृद्धि, विशेष रूप से टपक सिंचाई प्रणाली और बेहतर उर्वरक प्रबंधन शामिल हैं। इस प्रणाली का नुकसान इसमें लगने वाली अधिक लागत ,और फसल की समाप्ति पर सफाई मे लगने वाला समय है।

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छंटाई

छंटाई

पौधो की छंटाई सप्ताह में दो बार कि जाना चाहिए, और ध्यान रखे सिर्फ मुख्य तने को बढ़ने दे और पार्श्व शाखाओं को हटा दे, छंटाई तने के ६ से ७ वी गठान तक की जानी चाहिए।

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सहारा देना

सहारा देना

पौधो को सहारा देने का कार्य बुवाई के १५ - २० दिन बाद या रोपाई के १०- १२ दिन बाद करना चाहिए, सहारे के लिए तार क्यारी से लगभग १२ फिट की ऊंचाई तक बाँधना चाहिए, पौधो को रस्सी से सहारा देना चाहिए और इन रस्सीयो को ऊपर तारो से बांधना चाहिए, सप्ताह में दो बार रस्सीयो और तारो की जांच करे और उन्हे मजबूत बनाये रखे।

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उर्वरक का प्रयोग

उर्वरक का प्रयोग

उर्वरक और टपक सिचाई का उपयोग मृदा की पोषक स्तिथि पर निर्भर करता हैं, फसल की उम्र के आधार पर निम्नलिखित उर्वरकों को अनुशंसित मात्रा में उपयोग किया जाना चाहिए। कैल्शियम नाइट्रेट (CN),पोटेशियम नाइट्रेट (१३ :००:४५ ) मोनो पोटेशियम, फॉस्फेट (००:५२:३४), मैग्नीशियम सल्फेट, (MgSo4), सल्फेट ऑफ़ पोटाश , जिंक सल्फेट (ZnSo4), मैंगनेशीयम सल्फेट (MnSo4) कॉपर सल्फेट, अमोनियम मोलिब्डेट / सोडियम मोलिबडेट जैसे पोषक तत्वों विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार उपयोग करें।

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बोरॉन का महत्व

बोरॉन का महत्व

अच्छे पुष्पन के लिए इस स्तर पर बोरोन आधरित पर्ण उर्वरक का छिड़काव करना चाहिए, बोरिविन २०% (बोरान १.५ ग्राम/लीटर पानी ) का साथ छिड़काव करना चाहिए,बेहतर परिणाम के लिए कृपया १० दिनों के बाद इस प्रक्रिया को दोहराए।

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मृदुरोमिल आसिता

मृदुरोमिल आसिता

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खीरे में मृदुरोमिल आसिता एक बहुत महत्वपूर्ण रोग है, सफेद और धूसर रोमिल जैसे ऊतक जल्दी ही पत्ते के निचले हिस्से में विकसित होती है, और संक्रमित पत्ते मर जाता है, पत्ते के किनारे अन्दर की ओर मुड़ जाते हैं लेकिन पत्ता सीधा खड़ा रहता है, गंभीर संक्रमण में पत्ते गिर जाते है, और पौधे कमजोर हो जाते हैं और जिसे फल का विकास ठीक से नहीं हो पाता मृदुरोमिल आसिता रोग को नियंत्रित करने के लिए प्रति एकड़ ६०० ग्राम सेक्टिन (फेनामिडोन + १०% मैंकोजेब ५०% डब्लू /डब्लू ६० डब्लूजी ) का छिड़काव करें।

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चूषक कीटों का नियंत्रण

चूषक कीटों का नियंत्रण

खीरे में चूषक कीटों और फुदका के संक्रमण का खतरा होता है। इस चरण में चूषक कीटों को नियंत्रित करना बहुत जरूरी होता है, नहीं तो पौधे कमजोर हो जाते हैं और पर्याप्त पुष्प उत्पन्न नहीं करते। चूषक कीटों और फुदका को नियंत्रित करने के लिए कृपया एडमायर या इमिडाक्लोप्रिड ७०% डब्लूजी जैसे सुझाए गए कीटनाशकों का छिड़काव करें।

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घुन नियंत्रण

घुन नियंत्रण

इस समय खीरे में घुन का खतरा होता है, घुन को नियंत्रित करने के लिए कृपया प्रति एकड़ २४० मिली. ओबेरोन या स्पीरोमेसीफेन २२.९% एससी जैसे सुझाए गए कीटनाशकों का छिड़काव करें।

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कटाई/तुड़ाई

कटाई/तुड़ाई

आम तौर पर, पहली तुड़ाई बुवाई के ४० दिन बाद होती है, वैसे एक दिन छोड़ कर फलो की तुड़ाई करना एक अच्छी विधि है, फलो को डंठल के साथ तोड़ना चाहिए जिसे वे ज़्यादा समय तक ताजे बने रहते है,अगर किसान बेहतर प्रबंधन करते हैं तो उन्हें प्रति एकड़ ३५ से ४० टन तक पैदावार मिल सकती है।

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