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विशेषज्ञ लेख
चारे की मक्का की - खेती करने के सुझाव

मक्का की फसल में उच्च गुणवक्ता वाले रेशे और पोषक तत्व पाए जाते हैं जिसमे ऊर्जा की प्रचुर मात्रा होती हैं|

यह गायों, भैंसों जैसे जानवरों के लिए भोजन के रूप में बहुत उपयोगी है क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता वाला चारा प्रदान करता है|

1.मिट्टी के बेहतर स्वास्थ तथा अच्छी उपज के लिए बुवाई से 10 -15 दिन पहले 3 -5 टन/एकड़ अच्छे से विघटित गोबर की खाद का प्रयोग करें|

2.बुआई के 10-15 दिनों पहले 10 कि.ग्रा./ एकड़ की दर से जिंक सलफेट (21%) का उपयोग करें. ध्यान रखे जिंक का उपयोग अन्य रासायनिक उर्वरक के साथ, ख़ास तोर से फास्फोरस के साथ मिला कर ना करें|

3.एक समान अंकुरण के लिए बीजो की बुआई के समय प्रति एकड़ 39,000 पौधों का रखरखाव सुनिश्चित करें जिसके लिए बीजो की गहराई 1.5 - 2 इंच , दो पंक्तियों के बीच दूरी 24 इंच और दो पोधो के बीच 7 इंच का अंतर रखना चाहिए |

  1. बुआई के समय, 25 किलो यूरिया, 75 किलो डीएपी और 50 किलो पोटाश/ एकड़ की दर से खेत में डाले. और ध्यान रखें की उर्वरक का उपयोग करते समय खेत में पर्याप्त नमी हो|

  2. प्रारंभिक चरण में तना छेदक और मक्खी के नियंत्रण के लिए किसी भी व्यापक कीटनाशक का छिड़काव करें |

  3. उर्वरक की दूसरी खुराक के लिए 55-60 किलोग्राम/एकड़ की दर से यूरिया का प्रयोग करें, और यह सुनिश्चित कर लें की मिट्टी में पर्याप्त नमी हो, अगर आवश्यकता हो तो खेत की सिंचाई करें।

  4. पुष्पन अवस्था में पौधे के संपूर्ण तथा बेहतर विकास के लिए प्रति एकड़ 55-60 किलोग्राम यूरिया और 10 किलोग्राम पोटाश का प्रयोग करें तथा यह सुनिश्चित कर लें की मिट्टी में पर्याप्त नमी हो और यदि आवश्यकता हो तो सिंचाई करें |

  5. चारे की बेहतर उपज के लिए दाने भरने की अवस्था में मिट्टी में पर्याप्त नमी बनाए रखें।

  6. चारे की बेहतर गुणवत्ता के लिए फसल को 75-90 दिन होने पर पौधों के दाने जब मुलायम अर्ध पक्के दूधिया अवस्था में हो तब कटाई करें, चारे की बेहतर गुणवत्ता के लिए मानक दिशानिर्देशों का पालन करें।

  7. फसल को 4 से 6 सेमी की लंबाई में काटें और फसल को बेलनाकार गड्डे मे संग्रहित करें ।

  8. खाई में कटी हुई फसल को ट्रैक्टर या बैल की मदत से अच्छी तरह से दबाएं ताकि हवा बाहर निकल जाए और फसल जमीन के स्तर से एक मीटर ऊपर उठ जाए| उच्च गुणवत्ता का चारा बनाने के लिए उचित वातवरणी परिस्थिति बनाये | इसके लिए चारे की हर आधा मीटर मोटी परत को नियमित रूप से दबाया जाना चाहिए।

  9. चारे के गढ्ढे में हवा जाने से रोकने के लिए चारे की परत को जलरोधी प्लास्टिक पन्नी से ढक दें, चादर के किनारों को कीचड़ के लेप से बंद कर दे ,सुनिश्चित करें कि पूरी गड्ढा (साइलो-ट्रेंच) पूरी तरह से वायुरोधी हो।

  10. समय समय पर ध्यान दें और अगर कोई दरार या छेद है, तो इसे तुरंत बंद करें। 45 दिनों के बाद चारा तैयार हो जाएगा।

  11. केवल एक छोर से चारे वाले गढ्ढा को खोलें और दैनिक आवश्यकता के अनुसार चारा बाहर निकालें। शेष चारा ढंका रहने दे जो उपयोग होने तक अच्छा रहता है।

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