

इन दिनों फसल की पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कई किसान जैविक खाद का उपयोग करते हैं, और खेत में ही विभिन्न प्रकार की जैविक खाद तैयार करते हैं,लेकिन यह तभी प्रभावी हो सकता है, जब इसे बगीचे में इसे बड़ी मात्रा में हरी-खाद या जैव-अपशिष्ट द्वारा तैयार किया जाएं, इस प्रकार से तैयार खाद को महीने में २ से ३ बार इस्तेमाल किया जा सकता हैं।
जैविक खाद तैयार करने की कुछ विधिया इस प्रकार हैं।
जैविक खाद तैयार करने की कुछ विधिया इस प्रकार हैं।

कृमि खाद: -
कृमि खाद: -
पौधे के अपशिष्ट पदार्थ जैसे पत्ते, तना, सब को १० सेमी के छोटे टुकड़ों में काटकर एक स्थान में एकत्रित कर दिया जाता है, फिर इस ढेर को गाय के गोबर के घोल में १०किग्रा/१०० किग्रा कचरे में मिलाकर दो सप्ताह के लिए रखना चाहिए, और उस पर प्रतिदिन पानी का छिड़काव करना चाहिए। २ सप्ताह के बाद इसे सीमेंट की टंकी या 1 मीटर चौड़े गड्डे में स्थानांतरित कर देना चाहिए, और इसके ऊपर, नए कटे हुए पौधे के अपशिष्ट पदार्थ को १०-१५ सेमी की ऊंचाई तक की एक नई परत डाल देना चाहिए, और उसके बाद गाय के गोबर की २ सेमी मोटी एक परत चढ़ा देना चाहिए, कुछ समय बाद इसके ऊपर प्रति वर्ग मीटर १००० केंचुए निकलते हैं, और ६० दिनों में बारीक दानेदार कृमि खाद तैयार हो जाती है, ८ किलो कृमि खाद प्रति पौधा प्रति वर्ष इस्तेमाल से पौधे की नाइट्रोजन की आवश्यकता की पूर्ति हो जाती है, और मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है।


गोबर खाद का ट्राइकोडर्मा से उपचार: -
गोबर खाद का ट्राइकोडर्मा से उपचार: -
गोबर खाद का ट्राइकोडर्मा से उपचार करने के लिए गाय के गोबर की खाद अच्छी तरह से विघटित सुखी पाउडर के रूप में होनी चाहिए, इस खाद को छाया में एकत्रित करना चाहिए, ५० से १०० किग्रा गोबर की खाद के लिए १ किग्रा ट्राइकोडर्मा का उपयोग करना चाहिए, और अच्छी तरह मिलाना चाहिए। मिलाने के बाद ढेर को पेड़ के सूखे पत्तो या धान के भूसे से ढक देना चाहिए,और पानी का छिड़काव करना चाहिए, ४ से ५ दिन में एक बार मल्चिंग (पत्तो) को हटा कर खाद को अच्छी तरह मिलाना चाहिए, और मल्चिंग को वापस रख देना चाहिए,और फिर पानी का छिड़काव करना चाहिए। लगभग २ सप्ताह में खाद का मिश्रण खेत में उपयोग करने के लिए तैयार हो जाएगा।


जीवामृत:-
जीवामृत:-
१० किग्रा ताजा गाय का गोबर, २ किग्रा काला गुड़, किसी भी दाल का २ किग्रा आटा, इन सभी को अलग-अलग पानी में मिलाकर घोल बना लेना चाहिए, और फिर इन सभी घोल को २०० लीटर की बैरल (ड्रम) में डाल देना चाहिए। इस बैरल में १० लीटर गोमूत्र, आधा किग्रा रोगमुक्त साफ मिट्टी डाल कर,बैरल में बची हुई जगह को पानी से भर देना चाहिए । इस २०० लीटर घोल को लकड़ी की छड़ी से दिन में ३ बार हिलाया जाना चाहिए, और केवल घडी की दिशा में हिलाया जाना चाहिए,और बैरल को छाया में रखना चाहिए, और बैरल के ऊपरी भाग को बोरी से ढक देना चाहिए। ७ दिनों तक समय समय पर इसे हिलाते रहना चाहिए, ८ वें दिन से घोल को पेड़ के चारों ओर गड्डा बना कर इस्तेमाल किया जा सकता है।


अपशिष्ट अपघटको का घोल: -
अपशिष्ट अपघटको का घोल: -
वेस्ट डीकंपोजर (अपशिष्ट अपघट) एक सूक्ष्म जीव द्वारा तैयार की गई खाद हैं, जिसे नेशनल सेंटर ऑफ ऑर्गेनिक फार्मिंग द्वारा विकसित किया गया है। यह जैविक अनुसंधान केंद्रों, केवीके में उपलब्ध है, और अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर भी उपलब्ध है, जो ३० मिली की बोतलों में बेचा जाता है। इसे तैयार करने के लिए एक बैरल (ड्रम) में २०० लीटर पानी लें, और २ किग्रा प्राकृतिक गुड़ मिलाये और फिर 30 मिली की एक बोतल वेस्ट डीकंपोजर एक्सट्रैक्ट को बैरल में डालें दे , इस घोल को दिन में २ बार लकड़ी से अच्छी तरह हिलाएं, और बैरल को छाया में रखे, और बोरी से ढक दे, ५ दिनों के बाद घोल का रंग सफेद हो जाता है, और यह उपयोग के लिए तैयार हो जाता है। इसका उपयोग जैविक कचरे की त्वरित खाद बनाने, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार और पौधे संरक्षण के रूप में भी किया जाता है।


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