

वर्मीकंपोस्ट, केंचुआ कास्ट या मल एक शानदार पोषक तत्व गाढ़ा आर्गेनिक उर्वरक तथा मिट्टी का कंडीशनर है। केंचुए, जो ओर्गानिक पदार्थ खाते हैं, का उपयोग ईसिनिया फोडा, लाल कृमि या लाल कलाई और लम्ब्रिकस रूबेलस जैसे वर्मीकम्पोस्ट के उत्पादन के लिए किया जाता है। वर्मीकम्पोस्ट महंगे और हानिकारक रासायनिक उर्वरकों का बहुत सस्ता और पर्यावरण अनुकूल विकल्प है। वर्मीकम्पोस्ट भूमि की जुताई, ऑक्सीजन और लाभकारी माइक्रोबियल सामग्री में सुधार करता है। इसमें लगभग 5 गुना नाइट्रोजन, 6 गुना फास्फोरस और 4 गुना पोटेशियम एक अच्छी तरह से घुले FYM से अधिक होता है। वर्मीकम्पोस्ट खेतों से वाष्पोत्सर्जन हानि, रोगों की घटना, कीट-जन्तु तथा खरपतवार को कम करता है। फसल अच्छे अंकुरण प्रतिशत तथा उच्च उपज गुणवत्ता को दर्शाती है।

वर्मीकम्पोस्टिंग इकाइयों में 40-50% नमीं की मात्रा, तापमान-28-30°C तथा छाया के प्रावधान के साथ वातन/ऑक्सीजन और ड्रेनेज सुविधाएं होनी चाहिए। वर्मीकम्पोस्ट गड्ढों, टैंकों, फर्श, लकड़ी के रैक आदि में किया जा सकता है। इन्हें पहले एक प्लास्टिक शीट के साथ ढका जाना चाहिए ताकि पोषक तत्व नीचे न चले जायें।


आमतौर पर सबसे अधिक इस्तेमाल होने वाली वर्मीकम्पोस्ट इकाई प्लास्टिक वर्मीबेड है जो 9 फीट लंबी, 4 फीट चौड़ी तथा 2.5 फीट ऊंची है जिसकी लागत लगभग ₹ 3500/बेड है। वर्मीबेड को ज़मीनी सतह के ऊपर थोडा ढलान प्रदान कर के लगाया जाता है। जल निकासी के छेद भूमि के निचले हिस्से पर होने चाहिए। पहले बेड पर भूसे की पहली परत लगाई जाति है, बाद में नीम की पत्तियां। पानी से नम करें। एक सप्ताह पुराना गाय का गोबर मिलाएं (लगभग 6-7 क्विंटल)। गाय के गोबर को साफ़ खेत की मिट्टी या रॉक फॉस्फेट में 3:1 के अनुपात में मिलाया जाता है। पानी का छिडकाव करें। फिर लक्भाग 5 किलो केंचुए डाल दें। भूसे से ढकें। पानी छिड़कें। अंत में गीले जुट के बैग से ढक दें। वर्मीकम्पोस्ट बेड को ऊपर तक न भरें, हमेशा ऊपरी तरफ से 4 इंच की दूरी छोड़ पानी नियमित रूप से दिया जाना चाहिए: सर्दियों के दौरान 2-3 दिन में एक बार, गर्मियों में रोजाना, बरसात के मौसम के दौरान पानी देने की आवश्यकता नहीं है। वर्मीबेड में केंचुओं को जितना हो सके अछूता रखें। लगभग 3 महीनों में वर्मीकंपोस्ट तैयार हो जाती है।


अंत में फसल के दौरान यह गहरे भूरे या कालापन चाय या कॉफी पाउडर की तरह दिखाई देता है। फसल से लगभग एक सप्ताह पहले से पानी देना बंद कर दें। वर्मीबेड को सूरज की रोशनी दें या इसके ऊपर एक प्रकाश स्रोत लटका दें, प्रकाश संवेदनशील केंचुए बेड में गहराई में चले जायेंगे। या बेड में एक छोटा गड्ढा खोदें और उसमें थोडा गाय का गोबर डाल दें, बेड के चारों और से केंचुए गाय के गोबर को खाने के लिए उस और आ जायेंगे। वर्मीकंपोस्ट को बगीचे वाले हाथों की खुर्पी के साथ मिलाएं। इस वर्मीकोपोस्ट को 2 मिमी छलनी से छानें और पॉलिथीन के पैकेट भरें। बेड में बचे हुए केंचुओं को इसी प्रक्रिया के साथ फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है।
दूसरी बार में वर्मीकम्पोस्ट ढाई महीने में तैयार हो जाएगी, तीसरी बार में 2 महीने में, फिर हर 45-60 दिन के बाद हम वर्मीकम्पोस्ट फसल कर सकते हैं। इस प्रकार एक साल में हम वर्मीकम्पोस्ट के 4-6 उत्पादन चक्र प्राप्त कर सकते हैं। गाय के गोबर के प्रत्येक क्विंटल के लिए हम वर्मीकम्पोस्ट की 70 किलोग्राम तक की फसल कर सकते हैं। वर्मीबेड के ड्रेनेज पाइप के माध्यम से प्राप्त तरल को वर्मीवॉश कहा जाता है। यह पौधों के विकास के लिए फायदेमंद मैक्रो पोषक तत्वों, माइक्रोंयूट्रेंट्स, चयापचयों, एंजाइम और विटामिन के साथ एक उत्कृष्ट तरल उर्वरक है। किसान वर्मीकम्पोस्टिंग अपने खेतों के लिए के साथ-साथ वाणिज्यिक रूप से भी कर सकते हैं। वर्मीकम्पोस्ट पैकेटों को बाजार में ₹ 10/किग्रा और वर्मीवॉश @ ₹ 200-300/लीटर में बेचा जाता है।
डॉ. पायल सक्सेना